तेरी नज़रों के परे
soach
जरा
यदि तेरी आँख
अपनी ही पुतली को
देख सकती॥
इतना सा ही तो
मैं हूँ
तुझ से परे"
कवि का नाम याद नहीं...पंजाबी में मूल कविता है
कविता मुझेअच्छी लगी ...इसलिए यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ
देख सकती॥
इतना सा ही तो
मैं हूँ
तुझ से परे"
कवि का नाम याद नहीं...पंजाबी में मूल कविता है
कविता मुझेअच्छी लगी ...इसलिए यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ